mans marm
मानस का प्रभावशाली पात्ररावण जिसे हिदू समाज दसहरा बाले दिन एक बुराई के रूप में जलता है तथा भगवन श्री राम की जैय धोश करता है उस रावण के दलबल के बारे में चर्चा करे तो प्रतापी रावण बीस भूजयो बाला था यानि उस का बल इतना अधीक था की शास्त्रों ने उसे बीस भुजयो द्वरा पकटकिया है |इस के साथ साथ दश शीशो द्वरा उस के विवेक का प्रतीक माना जाता है |यानि रावण बल शाली तथा वुधमान माना जाता है रावण के बारें में हिदी साहितिक कवि मैथली शरण गुप्त ne लिखा है की रावण इतना बलवान था कि
ब्रह्मा सो वैद पड़े जाकेद्वारे ,महामीच दासी सदा पैर धोये यानि बल शैली रावण इतना प्रभवशाली था लवेकिन इस संशार में बुराई का कारण बना तथा मर्यदा पुसोत्तम भगवन श्रीराम के हाथो मारा गया ।कवि मैथलीशरण के अनुसार विदवान रावण पैरो को सदा मृत्यु धोती थी जो काल समय दुनिया को खता है वह उस के चरणो में था लेकिन रावण अभागा होगया और समय को बस में रखने बाला होकर समय के हाथो मारा गया इतना ही नहीं सीता की शीत लहर गण गण लंका में ऐसी चली कि जल कर राख हो गयी तह दशानन रावण जिसे दसो दशयो का ज्ञान था दशा विहीन हुआ तथा पुत्र पौत्र सभी का नास कराकर राम के हाथो मारा गया । रावण बुराई के साथ साथ अहिकार का भी प्रतीक बना । एक नारी को हरण करने बल रावण का साम्राज्य समाप्त हुआ कूल का नास हुआ इतना बल होता है नारी चरित्र में अगर गोस्वामी के मानस अनुसार रावण का अंत जब भगवान श्री राम के दवरा नहीं हो प् रहा था जब त्रिजटा रक्षी ने सारा सम्बाद जानकी को बताया माँ जानकी दुखी हुई उस पर त्रिजटा ने जानकी जी से कहा की जानकी रावण के ह्रदय में आप बास करती हो इस कारण भगवन उसे नहीं जीत प् रहे है जैसे आपकी ह्रदय से बिस्मर्ति होगी राम की विजय होगी ।य ही हुआ रावण जैसे माँ जानकी को भूला राम के हाथो मारा गया । मेरा कहने का तातपर्य यह की इस जगत में बुराई कितनी परवल क्यों न हो सफलता अच्छाई को ही मिलती है ।नैतिक बल तथा धार्मिक मर्यादा जीव की हर प्रस्थति में रक्षा करती है ।भगवन ही नैतिक मूल्यों के रक्षक होते है ।इस संसार में आतंक अराजिक्ता अत्याचार कितना ही परवल क्यों न हो समय का बल इस का इस प्रकार अंत कर देता है जैसे सूर्य का प्रकाश अंधकार का अंत करता है । इस में कोई संदेह नहीं है ।
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कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||
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गरुण सुमेर रैन सम ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि ..
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