devi kusmanda
नवरात्री कें चोथे दिन देवी कुष्मांडा का पूजन होता है |इस दिन साधक का मन अनाहत चक्र में होता है अत साधक को अतियंत निर्मल पवित्र मन से भगवती की उपसना करनी चाहिये |देवी की उपसना से भक्तो के सभी रोग शोक नष्ट हो जातें है इस में कोई संदेह नहीं है |देवी की क्रपा से साधक यश बल और निरोगता प्राप्त करता है माँ भगवती की क्रपा से साधक के सभी बधायो का नाश होता है भगवती अल्प सेवा से प्रशन्न होती है अत शंसार में भाव बधायो से मुक्ति चाहिए तो साधक को कुष्मांडा देवी की शरण लेनी चाहिए इन की क्रपा से परम पद की प्राप्ति होती है |अत साधक को चाहिए की पुराणओ में वर्णित निति के द्वरा देवी की उपसना करनी चाहिए |एसा करने से भक्त को सुख समर्धि प्राप्त होती है तथा परम पद भी |
बोलिए सांचे दरवार की जय , जय माता की प्रेम से
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