bhawn ke andr kavad ka sthan
वास्तु कें अंदर घर कें जहा भोगोलिक व्यवस्थायो का महत्व कें साथ साथ वस्तुओ कें रख रखाव का अपना विशेष महत्व है | अगर आपका भवन भोगोलिक सुवधयोसे युक्त है लेकिन देनिक वास्तु ओ रख रखाव ठीक नहीं है तो भी वास्तु दोष लग जायेगा |
इसी लिए ये अति अबशक है किकिसी भवन में भोगोलिक सुभदायोके साथ साथ वास्तु ओ का रख रखाव भी ठीक हो अर्थात रशोई घर में वर्तन ,तथा रशोई भंडार ,पहने जाने कपडे ,घर या भवन कें अंदर भंडार कीव्यवस्था अदि सभी का अपना महत्व है |
भवन कें अंदर कबाड़ का स्थान -वास्तु अनुसार कबाड़ का स्थान दक्षिण पक्शिम यानि नैरीत्य बाले कोने को अनुकूल मानाजाता है |इस कोने में राखी गयी किसी वास्तु में कोई उर्जा पैदा नहीं होती है |फलसरूप किसी प्रकार की उर्जा न बननेके कारन नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है |अतभवन कें अंदर कबाड़ा प्रतिदिन कामन आने वाली वास्तु उसी कोने में रखनी चाहिए |घर कें अंदर रफ सामान ,कबाड़ा ,खली बोतल अदि इसी कोने में रखनी चाहिए |लेकिन इस कोने को भवन कें सबसे उचा रखना अनवार्य है | इसी लिए इस
यह अति अब्सक है की ये कोना न तो कटा हुआ हो नहीं बड़ा हुआ हो न नीचा हो इस के साथ साथ इस कोने पर जल अदि का निकास नहीं होना चाहिए अन्यथा जीवन पर बिपरीत प्रभाव पड़ेगा इस में कोई अतो सूक्ति नहीं है |
इसी लिए ये अति अबशक है किकिसी भवन में भोगोलिक सुभदायोके साथ साथ वास्तु ओ का रख रखाव भी ठीक हो अर्थात रशोई घर में वर्तन ,तथा रशोई भंडार ,पहने जाने कपडे ,घर या भवन कें अंदर भंडार कीव्यवस्था अदि सभी का अपना महत्व है |
भवन कें अंदर कबाड़ का स्थान -वास्तु अनुसार कबाड़ का स्थान दक्षिण पक्शिम यानि नैरीत्य बाले कोने को अनुकूल मानाजाता है |इस कोने में राखी गयी किसी वास्तु में कोई उर्जा पैदा नहीं होती है |फलसरूप किसी प्रकार की उर्जा न बननेके कारन नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है |अतभवन कें अंदर कबाड़ा प्रतिदिन कामन आने वाली वास्तु उसी कोने में रखनी चाहिए |घर कें अंदर रफ सामान ,कबाड़ा ,खली बोतल अदि इसी कोने में रखनी चाहिए |लेकिन इस कोने को भवन कें सबसे उचा रखना अनवार्य है | इसी लिए इस
यह अति अब्सक है की ये कोना न तो कटा हुआ हो नहीं बड़ा हुआ हो न नीचा हो इस के साथ साथ इस कोने पर जल अदि का निकास नहीं होना चाहिए अन्यथा जीवन पर बिपरीत प्रभाव पड़ेगा इस में कोई अतो सूक्ति नहीं है |
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