रुद्राभिषेक: शनि व् राहू की शान्ति हेतु
प्राचीन काल से ही भगवान् शिव का रुद्र रूप में अभिषेक करने की परम्परा चली आ रही है। पौरंनिक मत के अनुसार भगवान् शिव को पृथ्वी के निकताकतम देव एवं आशुताश (शीघ्र प्रसन्न होने वाले ) के नाम से जाना जाता है। यही कारण है की मानस काल से लेकर महाभारत काल तथा आधुनिक काल में भगवान् शिव की पूजा के अनेक चमत्कारी प्रयोगों का प्र्च्ल्लन हुआ है । वैसे तो माना जाता है की सृष्टि के तीन देवता रजोगुण सतोगुण व् तमोगुण प्रधान ब्रह्मा विष्णु महेश हैं। इसीलिए भगवान् शिव को रुद्र - संघार करनेवाले देव कहा जाता है। जबतक भगवान् शिव की कृपा ना हो तब तक जीवन और समाज में पनपनेवाले दानवों का नाश नहीं हो सकता । भगवान् शिव की पूजा दो रूपों में
होती है। मूर्ति रूप में व् लिंग रूप में। आधुनिक समाज में भगवान् शिव के ज्योति लिंग का ग़लत अर्थ लगाया जाने लगा है जिसको में स्पष्ट करना चाहूँगा शिव के ज्योति लिंग का अर्थ ज्ञान का लिंग या प्रतीक है अर्थार्त शिव की पूजा के दो रूप हुए आध्यात्म रूप जिसमें पूजा ज्योतिर्लिंग में होती है.सांसारिक रूप जिसमें पूजा मूर्ति रूप में होती है.किसी भी समस्या के हल के लिए ज्ञान क्षेत्र का मानवीय जीवन में विशेष योगदान है। ज्ञान ही जीवन की हर समस्या का हल है। अतः भगवान् शिव के ज्योतिर्लिंग जो आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक है की रुद्र रूप में पूजा का विशेष महत्त्व है.जिससे जीवन की सभी बाधाएं शिव कृपा के प्रसाद स्वरुप कट टी हैं तथा एक अनोखी जीवन की भावः बाधाओं पर सफलता प्राप्त होती है। हमारे प्राणों में शिव के रुद्र अभिषेक की pracheen काल से ही अनेक परम्पराएं चली आ रही हैं.तथा माना जाता रहा है की आशुतोष शिव की उपासना करने से जीवन में सुगमता और सरलता आती है तथा सभी प्रकार की ग्रह बाधाएँ शांत होती हैं पौराणिक मतों के अनुसार दशानन रावण को शिव कृपा के कारण ही लंका तथा लौकिक वैभव प्राप्त हुआ था जिसके कारण उसने देवताओं के राजा इन्द्र पर भी विजय प्राप्त कर ली थी इसलिए रुद्र्भिशेक में रावण द्बारा रचित रावण तांडव का विशेष महत्व है.कहा जाता है जिस समय हठी रावण को शिव ने पाताल भेज दिया था उस समय रावण ने शिव तांडव द्वारा पूजा कर के शिव को प्रसन्न किया जिस से वह पाताल से ऊपर आया तथा शिव कृपा से देवों पर भी विजयी हुआ इसी रावण पर विजय प्राप्त करने वाले भगवान् श्री राम को विजयश्री की अनुपम कृपा करने वाले भगवान् शिव ही थे। लंका पर चढाई करने से पूर्व सेतुबंध रामेश्वर की स्थापना के समय भगवान् श्रीराम ने रामेश्वर के रूप में शिव की पूजा कर के रावण पर विजय के लिए आशीर्वचन और सहयोग माँगा। जिससे वो लंका पर विजयी हुए और रावण का नाश हुआ।
महाभारत काल में पांडवों पर कृपा करने वाले महारुद्र शिव ही थे जिनकी कृपा से पांडव पुत्र अर्जुन को पशुपतिशास्त्र के साथ साथ देवलोक से अनेक अस्त्र शास्त्र भी प्राप्त हुए थे जिनके प्रभाव से तीनों लोकों पर विजय प्राप्त करना भी सम्भव था। महाभारत के मतानुसार जिसमें पांडव अज्ञातवास काट रहे थे उस समय नित प्रति महादेव शिव का अभिषेक किया करते थे। जिस से प्रसन्न होकर आशुतोष भगवान् शिव नें पांडवों को महाभारत में विजयी होने का आशीर्वाद दिया था। इसके साथ साथ भगवान् श्री कृष्ण को दैत्यराज वाणासुर जिसकी एक हज़ार भुजाएँ मानी जाती हैं.शिव की अभिषेक रूप में पूजा कर के विजय प्राप्त कर ली थी इसके साथ साथ सत्भावों के लिए देती राज इन्द्र से परजात वृक्ष लाने में भगवान् श्री कृष्ण को शिव की कृपा से ही सफलता प्राप्त हुई थी तथा इन्द्र को पराजय का मुह देखना पड़ा था। ऐसे अनेक उदहारण हैं जिन पर शिव की कृपा हुई एवं सफलता प्राप्त की। जयद्रथ अश्व्थामा पान्दुपुत्र अर्जुन जरासंद्ध महादेव की कृपा के कारण ही बलवान और विजयी हुए थे इसी कारण से आद्ध्यातम के गुरु भगवान् शिव की कृपा के लिए गोस्वामी तुलसी दस जी नें भी मानस के आरम्भ करने से पूर्व भगवान् शिव और पार्वती का श्रद्धा और विश्वास के रूप में जगवंदन किया और अपनी सफलता के लिए आशीर्वाद माँगा।
शिव मर्मज्ञ पुश्प्दंत्शास्त्री जिनका कुश्त रोग शिव की पूजा से ही ठीक हुआ था ऐसा मानना है की ओधान त्रिपुरार्देतय के विनाशक सर पर चाँद को धारण करने वाले शेखर नील कंठ महादेव की जब तक कृपा ना हो तब तक ना सुख मिलता है ना शान्ति और ना ही किसी प्रकार की समृद्धि प्राप्त होती है। दुर्भागी जीव की दुर्भाग्यता भगवान् शिव की कृपा से ही दूर हो सकती है.जिस से वह इस लोक व् परलोक में भौतिक व् आध्यात्मिक सुख को प्राप्त कर परम गति लेता है। इसीलिए रुद्राभिषेक भगवान् शिव की कृपा प्राप्त करनें तथा भावः बाधाओं को नाश करनें की अचूक औषधि है। अतः शनि और राहू जैसे ग्रहों का अरिष्ट भी शिव कृपा से ही दूर होता है.मानसिक शान्ति प्राप्त करनें तथा मंगल जैसे ग्रह के अरिष्ट के लिए भी शिव कृपा रामबाण का काम करती है। अतः आवश्यक है की महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक द्वारा बुद्धिजीवी वर्ग आध्यात्मिक लाभ तथा सुख समृद्धि को प्राप्त करें.
Comments
Very cool post. I like the way you write..informative blog...
Shiva Rudra abhishek online