माँ भगवती कत्यानी
आओ कल पूजन करे करुणामयीदेवीकत्यानीका
नवरात्रिके छटवेदिन भगवती कात्यानी देवी केपूजनका विधान है| कहाजाताहैकि पराचीन काल मेंएककर्त नामके ऋषिहूए जिनकेपुत्रका नामकात्यान था| कात्यान मुनिके कोईसंतान नहींथी|अतसंतानप्राप्तहेतु माँ भगवतीकी आराधनाकरी ऋषिकी कठोरतपस्यासेप्रशन्न होकर देवी ने मुनि केयहासंतान होने कावरदान दिया | उनदिनों महिषासुर असुरका अत्याचारप्रथ्वीपर बड़ाहूआ था | देवोकेअवाहनपरदेवीउत्पत्तिएवं अबतार हूआ| इससमय माँभगवती कात्यान मुनिकी संतानबनी एवं कात्यान मुनि नेदेवीका विधिवतपूजन किया जिसकेकारनमाँ भगवती का नाम कत्यानी पड़ा|छठेदिनदेवीकेइसरूपकीपूजाहो तीहै|माँकत्यानी चतुर्भुजाबाली है|देवीके एकहाथमेंतलवारएवं एकहाथमें पुष्प है|देवीकापुष्पबाला हाथ अश्रीवादमुद्रामें है|माँभगवतीभक्तो काकल्याणकरने बाली हैइससमयमाँकेभक्तका मनध्यानमुद्रामें होता है|आओमाँ के इसस्वरूप कीपूजा कर आनन्दकोप्राप्तकरे
मंगल भवन अमंगल हारी, द्र्वयु सो दशरथ अजर बिहारी |
दीन दयाल विरद सम भारी, हरयो नाथ मम शंकट भारी .||.
Pt.Shriniwas Sharma
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