गरब गीता दर्शाती है पूरब जन्म के संचित कर्मो के प्रभाव
गरब गीता बतलाती है पूरब जन्म में संचित कर्म
इस म्रत्यु लोक में हर जीव हर क्षण अपने पूरब जन्मो के कर्मो का फल भोगता है |चाहे वह राजा हो या रंक निर्धन हो या धनी सब को अपने कर्मो की सजा भोगनी पड़ती है |इस में कोई संदेह नहीं है |जीवन में भोगके किये गरब गीता एवं रोंग दोनों का सम्बन्ध जातक के पूरब जन्म से होता है |इस में कोई संदेह नहीं है |जातक को पूरब जन्म में दुस्क्र्मो के कारण वर्तमान जन्म में यातना कष्ट एवं रोंग भोगने पड़ते है |पूरब जन्म में किये पुन्य कर्मो के कारण जीवन सफल सरल एवं सहिज बन जाता है|अत जातक के पूरब जन्म में किये कर्म वह पूजी के सामान है जिस के कारण वर्तमान जीवन अधिकतर प्रभावित होता है |किस कर्म की क्या सजा यावं दंड है उनके साक्षात् प्रमाण भगवन श्री क्रष्ण द्वरा रचित गर्ब गीता देती है |अत अपने पूरब जन्म से संचित कर्मो जान ने के लिए गरब गीता का गहीनता से अध्यन करना चाहिए |एसा करने से जातक वर्तमान कर्मो के किये गए कर्मो के बारे में सचेत पूरब कर्म करता है --
कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||
गरल सुधा रिपु करें मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि ..
Pt.Shriniwas Sharma
Mo:9811352415
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www.aryanastrology.com
Professional charges :Rs1100/Patri,...Prashan Rs 500
Central bank a/c: SB no: CBIN0284543 3066728613
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