रामनौवी महोत्सव
कल मरियादा पुर्सोतम भगवन श्री राम का जन्म दिन है |भगवान् श्री राम का जन्म चैत्र मास शुक्ल पक्ष की नौवी तिथि को दिन के अभजितयानि मध्यान में हूआ |अत कल दिन के अभिजित में राम जन्म उत्सव मनाया जायेगा |भगवानश्री राम का चरित्र मरियाद्यो से भरा हूआ है |राम के चरित्र में कुशल रजा आज्ञा करी पुत्र एक अच्छा पति अच्छा भाई तथा अच्छा स्वामी के सभी अद्रश गुण पाए जाते है |भगवान श्री राम के पावन चरित्र का जो वरण गो स्वामी तुलसी दास द्वरा अपने पावन सद ग्रन्थ में किया है उस से कोई मानब अछूता नहीं है |क्रपालु भगवान् श्री राम की हर लीला मानब को मानब ता का पाठ पड़ती है |मानस के नायक भगवन श्री राम का करुणा के अबतार है कितना पावन चरित्र है भगवन श्रीराम का की मानब तो क्या लाता पशु पक्षी सभी करुणा निधान भगवन श्री राम से प्रेम करते है |धन्य है एसे प्रभु जिन के नाम के आधार सहारे तैराए गए पत्थर आज भी राम सेतु के रूप में बिराज मान है |
वैसे तो भगवन श्री राम का चरित्र अ वरणीय है लेकिन प्रभु के जन्म उस्तव पर आप रुझान प्रभु चरणों में आकर्षित करने हेतु एक प्रसंग जो मेरे मन को काफी लम्बे समय से उत्साहित कर रहा है वह वरण कर रहा हूँ आशा है कि विद्जन मेरे अबगुनोको क्षमा कर राम की चरित्क लीला का अन्नद उठायेगे -
जिस समय सेतु बंद रामेस्वर की स्थपना हो रही थी तब लंका में बड़ा शोक था |जल के उपर पत्र द्वरा लम्बे पुल की बात सुनकर सभी अश्रय चकित थे परिणाम स्वरूप रामदल का उत्साह बडरहा था तथा रावन दल का उत्साह दिनों दिन कम हो रहा था तथा सभी सेना नायक विजय की आशा छोड़ चुके थे |रावन की रानी मंदोदरी को भी काफी चिन्ता थी जो रावन के लिए बड़ी चिनोति थी |
रावन ने देखा कि सभी का मनो बल गिर रहा है अत इस समय इनके मनोबल को सहारा देना अति अब्स्यक है अत रावन ने सैनानयकोतथा सैनिको की सभा बुलाई तथा उनका उत्साह बढ़ने हेतु दशानन रावण ने एक ओझ पूरण भाषण दिया तथा ये सिद्ध करना चह्हा कि जैसे राम ne जल के उपर पथरतैराए है वह काम में भी कर सकता हूँ |इतना ही नहीं रावन ne एक पथरलिया तथा सभी के सामने समुद्र में फेक दिया जो जो जल के उपर तैरता रहा जिसे देख सैनको सेना नायको को बड़ा अश्रय हूआ तथा सभी के टूटे मनोबल पुन उत्साहित हो गए लेकिन मनदोदरी को भरोसा नहीं हूआ तथा उस ने एकांत पाकर रावन से ये रहस्य जानना चह्हा कि आपके द्वरा पथर कैसे तेरा ? इस पर रावन हँसा और बोला कि पथर तैरने की कला तो केवल राम ही जानते है में नहीं मेने जिस पथर को जल के अंदर तैराया है उसे राम के नाम का सहारा मिला है मेरा नहीं |
मंदोदरी ने यह रहस्य जानना चाहा तब रावन ne कहा कि मेरा द्वरा सैनको का मनोबल बढ़ने हेतु जो पथर जल में फैकाथा उस पथर से मेने कहा कि हे पथर तू जल में तैरना डूबना नहीं अगर दुव गया तो तुझे श्री राम की शौगंध है तथा मैंने उस पथर पर श्री राम का नाम लिखा तथा जल में फेक दिया इस लिए वह पथर तैर रहा है |
ये है भगवान श्री राम का पावन चरित्र
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कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||
गरल सुधा रिपु करें मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि ..
Pt.Shriniwas Sharma
Mo:9811352415
http:// vedicastrologyandvaastu. blogspot.com/
www.aryanastrology.com
Professional charges :Rs1100/Patri,...Prashan Rs 500
Central bank a/c: SB no: CBIN0280314/3066728613
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