गुरु के राशी परिवर्तन से राजनैतिक संकट
३१मई २०१३ समय आठ बज के पैंतालिस मिनट से गुरु का गोचर बुध की राशी मिथुन में तथा मृगसरहा नक्षत्र में है ,जिसका स्वामी बुद्ध है। गुरु का गोचर बुद्ध की राशी में है और बुद्ध के साथ है। जिस के कारण राजनैतिक संकट उत्त्पन्न होनें की संभावना है। इसके साथ साथ शुक्र एवं गुरु की परस्पर बुद्ध की राशि मिथुन में युति इस बात का संकेत देती है की समाज के विद्यार्थी वर्ग के अंदर भ्रान्ति पूर्ण स्थिति उत्प्प्न्न होगी तथा तुला राशी में शनि एवं राहु का गोचर इस बात का संकेत है की सरकार समझदारी से कम और बल से भविष्य में ज्यादा काम करेगी,जिस से जनता के अंदर भरी अविश्वास पनपेगा फलस्वरूप समय समय एवं जगह जगह पर बगावात की स्थिति उत्प्प्न्न होगि। २ जुलाई के बाद जब गुरु उदय हो जायेगा राजनैतिक सकत के प्रभाव और ज्यादा बड़ जायेंगे जिसके चलते सत्तारूढ़ पार्टिओं को भारी क्षति उठानी पड़ेगी अतः बीजेपी के अन्दर आंतरिक कलह के और बढनें की संभावना है जो ८ जुलाई तक बड़ा रूप ले सकती है. शनि की वक्री स्थिति तथा गुरु के अस्त होनें किए कारण यह समय प्राकृतिक विपदाओं का भी समय है. जिसके चलते बाढ़ ,भूकंप अन्य विपदाएं आ सकती हैं .रेल यातायात व अन्य यातायातों पर भी प्रभाव पड़ सकता है.
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