गणंत(मूल) लगन नक्षत्र विचार
गणंत(मूल) लगन नक्षत्र विचार ज्योतिष में गणंत नक्षत्र लगन व राशि की चर्चा बड़े पैमाने पर प्राचीन काल से की जाती रही है |अगर किसी जातक का जन्म मूल नक्षत्र में होता है तो उसे परिवार के लिए तथा सम्बन्धियों के लिया खराब माना जाता है |मूल नक्षत्र व लगन आदि का विचार ज्योतिष का अत्यंत प्राचीन मत है कहा जाता है की लंकापति रावाण नें अपनें जयेष्ट पुत्र अहिरावान के मूल नक्षत्र में पैदा होनें के कारण पातळ में भिजवा दिया था तथा उसका मुंह तक नहीं देखा था |रामचरित मानस के मर्मग्य व रचियता गोस्वामी तुलसीदास का बचपन का नाम रामबोला था क्यूँ की जन्म ते ही इस जातक नें मुख से राम नाम का उच्चारण किया था |गोस्वामी जी का जन्म मूल नक्षत्र में होनें के कारण जन्म के कुछ दिनों बाद ही माता-पिता का स्वर्गवास हो गया था अतः मूल नक्षत्र व लगन निश्चय ही अनिष्ट करनें वाली होती हैं लेकिन इनमें जन्मे जातक निश्चय ही अत्यंत शक्तिशाली उद्ध्यम शील प्राकर्मी व इस संसार में यश प्राप्त करनें वाले होते हैं इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है.| ज्योतिष अनुसार २७ नक्षत्रों में से ६ नक्षत्र मूल मने जाते हैं नम्बर -१ ,अश्वन...