भारत को साम्प्रदायिक सौहार्द का खतरा

भारत को साम्प्रदायिक सौहार्द का खतरा 

भारत को साम्प्रदायिक सौहार्द का खतरा बना हुआ है. स्वतंत्र भारत की कुंडली वरिश लगन तथा कर्क राशि की है. जिसमें चन्द्र कुंडली के अनुसार लगन में स्थित ग्रह चन्द्र ,शुक्र, बुध , सूर्य व शनि हैं एवं द्वादश भाव में मंगल स्थित है जो नवांश में गुरु की राशी में है. सर्वाश्टक वर्ग अनुसार मिथुन राशी को जिसमें मंगल स्थित है मात्र १९ अंक मिलते हैं इस समय देश में सूर्य की दशा चल रही है जिसमें मंगल का अन्तेर ९-२-२०१० तक है. मंगल  देश की कुंडली में मार्ग स्थान का स्वामी है . इन दिनों हुए ग्रहों के गोचर परिवर्तन से सूर्य ने बुध के साथ मंगल की राशि वृषक में परिवर्तन किया है. शनि इन दिनों बुध की राशी कन्या में चल रहे है. इन दिनों बुध और चन्द्र के साथ शनि के ही नवांश में है. ज्योतिष में शनि को जनता का कारक माना गया है. बुध को तर्क एवं कानून का -फलस्वरूप इन दिनों हुए गोचर परिवर्तन के कारण क़ानूनी प्रक्रिया को लेकर जनता पर संकट आ सकता है. मंगल का साथ में गोचर होने के कारण शास्त्र द्वारा हिंसा  भारक्नें की संभावना है.इन दिनों राहू  का गोचर गुरु की राशी और गुरु के ही नवांश में है राहू धर्मनिरपेक्षता का करक मन गया है एवं गुरु को धर्म्सापेक्ष्ता का कारक .फलस्वरूप समाज में हिंसा किसी ऐसे धार्मिक कारण को लेकर उत्तपन हो सकती है जिसका श्रय राजनैतिक सत्तापक्ष व संसद को जा सकता है. लेकिन इसमें विशेष बात ये है की नवांश में सूर्य बुध की राशि में है और चन्द्र कुंडली में मंगल की राशी में है अतः साम्प्रदायिकता से किसी राजनैतिक दल को लाभ या हानि नहीं होगी लेकिन उनके शीत युद्ध २८-१२-२००९ तक प्रबल रूप से चलते रहे गे जो २५-०१-२०१० के बाद ही विराम लेंगे. इससमय चलने वाले शीत युद्ध साम्प्रदायिकता के कारण भविष्य में सत्ता पक्ष को हानि उठानी पद सकती है. विपक्ष को प्रबल लाभ हो सकता है. वर्तमान समय बदलते गोचर के कारण जनता के लिए खराब  है इस समय समाज के बुद्धिजीवी  वर्ग तथा सभी  राजनैतिक दलों   को shanti के साथ सुझबुझ  से काम  करना  चाहिए  .  

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