लक्ष्मी प्राप्ति के उपाय
आज के समय में लोग धन कमाने की भाग दौड़ में दिन रात एक कर देते है | लोगो यह सिधांत भी है कि अगर पास में पैसा नहीं तो कुछ नहीं |वैसे भी कलियुग में अर्थ यानि धन को सबसे बड़ा साधन माना गया है |इस पूजीवादी समाज में गरीब का कोई मित्र नहीं होता और गरीब का कोई जीवन नहीं होता इसी के लिए कवि कालिदास जी ने संस्क्रत भाषा में एक सूक्ति लिखी है जो इस प्रकार है --
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यसस्य वित;सो नर ; कुलीना | यानि धन जिस के पास है अछे कुलबाला संस्कार युक्त शिक्षित उसे मानते है |इसी लिए अपनी सामाजिक पहिचान बनाने हेतु दिन रातमहनत कर ने में लगे रहते है लिकिन सफलता उन्हें मिलती है जिन की किस्मत अच्छी होती है | इस लिए निम्न वास्तु के उपाय आपकी समर्धि एवं धन संग्रह में सहयक हो सकते है जो इस प्रकार है ----
१ पूरनमा के दिन गो धुलनी काल में सफेद टिल पीपल के व्रक्ष चारो और विखेरते हूए १०८ परिक्रमा करने से लक्ष्मी का स्थायी रूप से वासा होता है |
२ घर में तुलसी एवं सालिग्राम का गंगा जल से पूजन करने एवं द्वादस मन्त्र के जप करने से लक्ष्मी नारायण के घर के अंदर वास होता है |
३ रसोई घर में नामक कभी भी पिलास्टीक के वर्तन में नहीं रखना चाहिए एसा करने से लक्ष्मी छीन होती है एवं मानसिक असान्ति बनती है | नामक को हमेसा कांच या मिटटी के वर्तन में रखना चाहिए |प्लास्टिक मंगल का कारकहोने के कारन नामक प्लास्टिक के वर्तन में रखने से लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है
४ झाड़ू को लक्ष्मी का रूप मन जाता है उस से घर की सफाई होती है इसी लिए झाड़ू से किसी की पिटाई नहीं करनी चाहिए नहीं दिन के समय झाड़ू कड़ी रखनी चाहिए एवं नहीं रात्रि के समय झाड़ू से घर की सफाई करनी चाहिए |
५ घर के अंदर पूछा करते समय जल में दो चुटकी नामक अबस्य डालना चाहिए एवं रसोई में उपयोग के बाद नामक भूल क्र भी फर्स नहीं गिरना चाहिए एसा करने से परिवार में आर्थिक तंगी बनी रहती है |
६ घर के अगन में तुलसी का पौधा अब्स्य लगना चाहिए एवं सुवह शाम उस में दीप दान अबस्य करना चाहिए जिस से घर में लक्ष्मी का बासा बना रहता है |
७ जिन परिवरो में आर्थिक तंगी चल रही है उन्हें पूरनमा के व्रत करने चाहिए एवं विष्णु सहस्र नाम एवं श्री सूक्ति का पाठ करना चाहिए एसा करने से आप का आर्थिक शंक्त अबस्य दूर होंगा |
अत आप से अनुरोध है बताए गए वास्तु के नियम सिध्नत उपाय को अपनाये एवं समर्धि तथा आर्थिक लाभ पाए |
मंगल भवन अमंगल हारी, द्र्वयु सो दशरथ अजर बिहारी |
दीन दयाल विरद सम भारी, हरयो नाथ मम शंकट भारी .||.
Pt.Shriniwas Sharma
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