jeevan vyvstha
मनुष्य जीवन देव दुर्लभ है |हमारे दर्शन पुराणों के अनुसार भगवान् कभी करुणा कर कें किसी जीव को मानव बनाता है इतना दुर्लभ है मनाब जीवन लेकिन बास्तव में कुछ भिन्न देख्लाई देते है |आश्रय की बात है की मानबअपने जीवन की वस्थावीकता बीना जाने जी रहा है |अगर गंभीर रूप से बीचार किया जाय इस दुनिया में सबसे जायदा भोग प्रवर्तीरखने बाला जीव है तो वह मनाब है |इस स्रष्टि की सभी योनिया संतान उत्पति हेतु मैथुन कर्म करते है तथा उनकी व्यवस्था ऋतू अनुसार वर्ष में एक बार है |लेकिन मनाब एक एसा जीव है की मैथुन कर्म उसका मनोरजन साधन बनगया है फलस्वरूप मनाब चोवीस घंटो में एक बार मैथुन अबस्यकरता है यानि प्रत दिन जबकि अन्य जीब वर्ष में एक बार | इस के साथ मनाब एक एसा जीव है जो अपने को सरीर कर कें जीता है इस संसार के अन्य जीवों को सरीर का भान नहीं होता है जिस से अत्य अधीक सरीरीक बल रख कर स्वरक्षित नहीं कर पातें है लेकिन वह अपने को सरीर नहीं मानते है नहीं उन्हें उसका भान होता है परिणाम स्वरूप बीना किसी साधन संचय की प्राक्रतिक व्यवस्था पर जीते है |लेकिन मनाब के अंदर संचय करने की मनसिकता है तथा प्रत दिन अपने...