जन अधिकारों का अनदेखा करेंगी सभी वर्तमान सरकारें ज्योतिष के अनुसार इन दिनों शनि अपनी उच्च राशी तुला में गोचर कर रहे हैं. मंगल का गोचर सूर्य की राशी सिंह में है जो मई अंत तक रहेगा दूसरी ओर गुरु एवं शनि के परस्पर दृष्टि भी है . ज्योतिष में गुरु को कानून और ज्ञान का कारक मन जाता है तथा शनि को जनता एवं राज्य के संसाधनों का कारक माना गया है गुरु एवं शनि की परस्पर द्रष्टि इस बात का प्रतीक है की शनि की उच्चता के कारण जनता के पास जो संसाधन बढेंगे उस पर कानून की पैनी द्रष्टि होगी और जनता से हरण कर लिए जायेंगे. यद्यपि यह बात पूर्णतया सत्य है की गुरु के उच्च राशी में आनें के कारण समाज की उपभोग प्रवृति बढ़ेगी जिसे देखते हुए सरकारें अपनी नई कर नीति के तहत समय समय पर जनता के धन का हरण भी करती रहेगी जिस से जनता त्राहि त्राहि कर उठेगी.दूसरी ओर मंगल जो ज्योतिष में बल का कारक है का लम्बे समय के लिए सूर्य की राशी सिंह में आनें के कारण सरकारें निरंकुश होंगी तथा जनता के अधिकारों की पूर्ण रूप से अनदेखी करेंगी अर्थात सरकारों की अराजकता इस कदर बढ़ेगी की जनता विरोध प्रदर्शनों के द्वारा...
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शनि का तुला राशी में गोचर
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शनि का तुला राशी में गोचर १४ नबम्बर २०११ की अर्ध रात्री को शनि गोचर वश कन्या राशी का त्याग कर अपनी उच्च राशी तुला में प्रवेश करेगा |फल स्वरुप् सिह राशी से शनि के साढ़े साती का प्रभाव समाप्त होना शुरू होगा | जिस से उन्हे धीरे धीरे मानसिक तनाब से शांति मिलेगी तथा उन्हें धीरे जीवन में रुके कामो में सफलता मिलने लगेगी |इस के साथ साथ कन्या राशी पर शनि के साढ़े साती का गोचर आरंभ होने के कारण जीवन में तनाब बढ़ने लगेगा | इस के साथ साथ तुला राशी वृश्चक राशी पर शनि की साढ़े साती का अंतिम तथा माध्यम दौर शु रू हो जायेगा | ज्योतिष के अनुसार शनि भौगोलिक शुभदायोसंसाधन आदि का कारक...