देवी अराधना और सफलता
देवी अराधना और सफलता हिंदू दर्शन के अनुसार इस सृष्टि का शुभारम्भ ब्रह्मा के द्बारा उत्पन्न मनु और सतरूपा के मैथुनिक कर्म के द्बारा हुआ। मनु एवं सतरूपा के नाम के पर्याय के कारण मानव जाती का नाम मनुष्य व मानव पडा। कहा जाता है की सृष्टि विस्तार को बढाने हेतु प्रजापति ब्रहमा ने अपने दायें अंग से पुरूष तथा बाएँ अंग से स्त्री पैदा की,जिसके कारण मैथुन कर्म के द्बारा उस नारी के गर्भ से सृष्टि का विस्तार हुआ। फलस्वरूप गर्भ में जीव को धारण करने के कारण उसका एक नाम स्त्री तथा नर के साथ जुड़ने के कारण नारी पड़ा। शास्त्रों के अनुसार गर्भ धारण कर सृष्टि के कार्य को आगे बढाने के कारण नारी का उद्देश्य नर से उंचा कहा गया है। इसीलिए इस नारी की समय समय पर देवी अम्बा लक्ष्मी रूपों में पूजा होती रही है दूसरा शास्त्र गत एक कारण और भी बताया गया है कि ब्रह्मा की सृष्टि में नारी परा एवं अपरा दोनों रूपों में नारी ही काम करती है ,परा रूप में प्रत्यक्ष होकर शारीरिक प्रदर्शन ,वाणी एवं सम्मोहन द्बारा संसार को भ्रमित कर मैथुन कर्म को प्रभावित कर सृष्टि विस्तार को आगे बढाती है । दुसरा रूप अपरा शक्...