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०९ मार्च २०१६ का सूर्य ग्रहण

Subject: ०९ मार्च २०१६ का सूर्य ग्रहण --  ०९ मार्च २०१६ दिन वुधवार पुर्बाभादनाक्षेत्रमेंजबसूर्यमी नराशी में होगातबसूर्य ग्रहण होगा| यहग्रहणभारतसहित यूरोप केसभीदेशोमेंदिखलाईपड़ेगा| इसग्रहण केप्रभावसे पछामीउत्तरप्रदेश पछमीराजिस्थान गुजरातएवंपछमीमहाराष्टमें इसका प्रभाव होगा यहग्रहण आस्ट्रेलियादक्ष्णि कोरिया एवंप्रशांतमहासागरके आसपाससभीक्षेत्रोमें दिखलाईपड़ेगा| इसग्रहण केपरिणाम स्वरूप यूरोप एवंआस्ट्रेलियाएवंप्रशांतमहासा गरकेआसपास भूमिसेसम्बंधितकोईजनजीवनको प्रभाबीत करने बालीघटना होना संभव है | इसग्रहणकाप्रभाव भारत में गुजरात उत्तरप्रदेश पछामी राजिस्थान कीराजनीती पर पड़ेगा | यहग्रहण गुरुकीराशीमीनमें होने के कारण दिल्ली सहित इनसभी राज्यों में एवंउनसभी हिस्सोंमें दिखलाई पड़ेगा वहाराजनेतिककारणोंसे जनताको परेशानी उठानी पड़ सकतीहै| इस ग्रहणकाल १२घंटेपूरबसूतक लगजायेगे सुतको वर्द्ध एवंरोगियों कोछोड़कर खानापीना सोनावर्जित माना जाता है| इस ग्रहणके सुतको सेलेकर मोक्षकाल तकविष्णुसहस्रनामकापाठकरनासुनना यानारायण गायत्रीकाजपकरना सभीकेलिए कल्याणकरीसिद्ध होगा| कोहू न काहू क़र सुख

गुरु चंडाल योग का इस समय प्रभाव

देश में रहेगा अरजिकता का माहौल इन दिनों गुरु राहू की युति सिंह राशी में बनी हूई है |मैदानी ज्योतिष में गुरु को कानून का कारक मना जाता है |एवं राहू को शकता एवं राजनीती का कारक मन जाता है |अत इन दिनों कानून को लेकर राजनीती होती रहेगी दूसरीबात राहू गुरु को युति केकारन गुरुचंडालयोगबनाहूआ है | इस योग के जनता को तथा देश दोनों को भरी पड़ेगा इन दिनों भारतके सबंध पडोसी राष्टो से बीगर सकते है | भारत में अरजिकता पूरण माहोल बनेगा|

मनु काल की गरना

---------- Forwarded message ---------- From:  Shriniwas Sharma   < shriniwas73@gmail.com > Date: 2016-02-15 19:48 GMT+05:30 Subject: इस श्रृष्टि जितने समय तक चलती है उसे व्रह्म लोक का एक दिन कहते है जिसे एक कल्प भी कहाँ जाता है |इस एक कल्प में १४ मनुओ का शासन होता है |एक मनु का शासन जितने समय चलता है  उसे एक मंवैन्तर कहा जाता है |इस समय अष्टम मनु का शासन काल है जिसे वैवस मनु कहा जाता है |एक कल्प में व्यतीत होने बाले १४ मनुओ के नाम ज्योतिष शास्त्र अनुसार इस प्रकार है - १ स्वायम्भव मनु [प्रथम मनु ] २ स्वरोचिष मनु [द्वतीय मनु ] ३ उतम मनु [त्रतीय मनु ] ४ तामस मनु [चतुर्थ मनु ] ५ रैवत मनु [पंचम मनु ] ६ चाक्षुष  मनु [षष्ट मनु  ७ वैवस्वत मनु [सप्तम मनु ] ८ सवर्णी  मनु [अष्टम मनु  ९ दक्ष सवर्णी [नवम मनु  १० ब्रह्म सवर्णी [दशम मनु ] ११ धर्म सवर्णी [एकादश मनु ] १२ रूद्र सवर्णी [द्वादश मनु ] १३ देव सवर्णी [त्रीदश मनु ] १४ इंद्र सवर्णी [चतुर दश मनु ] यह १४ मनु के साशन काल  एक कल्प कहा गया है इस श्रृष्टि जितने समय तक चलती है उसे व्रह्म लोक का एक दिन कहते है जि

काल गरना का ब्रह्म लोक गरना से सम्बन्ध

ज्योत्शीय गरना अनुसार विश्व श्रृष्टि रचान कोईस्वीसम्बत२०१३तककलियुगकोआरं भहूए ५११४ वर्षहीबीतेहै|एवंविश्वश्रृष्टि को१९७२९४९११४ यानि[एकअरबसतान्न्बेकरोड़उनतीसला ख उनचासहजारएकसौचौदहवर्ष]बीतेहै| अभी२८वांचतुयुर्गचलरहाहै जिसकानामवैवस्वतनामकमानवेतर है| एकयुग[चतुयर्गी] ४३२००००मनाबवर्षकेबराबरहोताहै| ७१.४३ महायुग एकमंबेंतर यानिएकमनुकाजीवनकालमनाजाताहै| १०००महायुग एककल्पकेबराबर होते है जोब्रह्मलोककाएकदिनहोता है | इसअबधितकब्रह्माकीश्रष्टिचलती है | जो४३२००००००० मनाबवर्षकेबराबरहोतीहै |जोब्रह्माकीएकरातकहलातीहै जोएक कल्प के ही बराबरहोतीहै| ब्रह्माकीआयु की गरनाहमारेवेदोंमें १००ब्रह्मवर्ष मानी गयीहै जो३६००० कल्पकेबराबरहै| एक मन्वन्तर १००० यानिच्तुयुर्गीकाचौदहवाभाग यानि१७१०३दिव्यवर्षकेबराबरहोता है| एकमंबेंतरदोअयनकेबराबरहोतेहै उत्रायणब्रह्मलोककाप्रकाशमान मार्ग दक्षायण ब्रह्मलोककाअधेरामार्ग ब्रह्माकाएकवर्ष दशहजारअस्सीमनुयोकीआयु केबराबरहोताहै| एककल्पब्रह्मलोककाएकदिनकीअबधि १४मंबेंतरकेबराबरहोताहै| यहसबंधब्रह्मलोकएवंप्रथ्वीलोक समय गतिका हैजोज्योतिषय गरना का विषय

ज्योत्शीय गरना का आधार

काल शव्द दो रूपों में उपयुक्त होता है १ भूतों का प्रन्यंत्र अर्थात म्रत्यु |जिस के देवता यमराज है |दुसरे कार्य संपादन के लिए समय निर्धारण जिनकी गरना किसी इकाई के नाम से की जाती है यहगरनातमककाल है| इसकीगरनाकाप्रयोजन ज्योतिषमेंकियागयाहै जोइसप्रकारहै- १-परमाणु-कालकीसूक्ष्मअबस्था २-दोपरमाणु-एकअणु ३-तीनअणु-एकत्रसरेणु ४-तीनत्रसरेणु-एक त्रुटी ५-१०त्रुटी-एकप्राण ६-१०प्राण-एकवेध ७-तीनवेध -एक लव ८-तीनलव-एकनिमेष ९-एकनिमेष-एकपलकझपकनेसमय १०-दोनिमेष-एक विपुल ११-तीननिमेष- एकक्षण १२-०५निमेष-२/१२ त्रुटी १३-२ -१/२ त्रुटी -०१सैकेंड १४-२०निमेष -१०बिपुल ४सैकेंड १५-५ क्षण-एक कष्टा १६-१५कष्टा-एकदंड एक लघु १७-०२दंड- एकमहूर्त १८-१५ लघु-एकघटीएक नाडी १९-एकघटी-२४मिनट २०-तीनमहूर्त-एकप्रहर २१-दोघटी-एकमहूर्त४८मिनट २२-एकप्रहर-एक याम २३-६०घटी-एकअहोरात्र[एकदिनरात] २४-०८ प्रहर--एकअहोरात्र[ एकदिनरात] २५-०८प्रहर-एकअहोरात्र २६-१५दिनरात -एकपक्ष २७-०२पक्ष-०१मास २७ -०२मास-एकऋतू २८ तीनऋतू-छमास २९छमास- एकअयन ३० दो अयन -०१वर्ष ३१ दोअयन-एकवर्षएकसंवत्सर एकअब्द ३२

काल गरना ज्योतिष गरना

ज्योत्शीय आधार पर समय की गरना जो हमारे वेदों के अनुसार है जिसे चेत्र मास प्रतिपदा शुक्ल पक्ष से गुना जाता है |मना जाता है जब ब्रह्म लोक का एक दिन होता है इतने समय में प्रथ्वी लोक पर चार युग बीत जाते हैजिसेएककल्ब कहते है| यहश्र्स्ती एक कलप तकचलतीहै|जोइसप्रकारहै| १०००दिव्यवर्ष और१००दिव्यवर्षसंध्याऔर१००दिव्यवर्ष का संध्या कहलातीहै| इसमें१२००दिव्यवर्षका कलियुग कहाजाताहै|अन्य तीनयुगोंकीगरना इसप्रकारहै- क्रत्युग -४८००दिव्य युग त्रेता-३६०० दिव्ययुग दूआपुर-२४०० दिव्ययुग कुल12,000 दिव्यवर्षोकाएकमहायुगकहतेहै| प्रथ्वीलोक का एक महायुग ब्रह्मलोकका एकदिनहोताहै| यहश्रष्टिब्रह्मलोककेएकदिनतकचलतीहै| इसकेबादब्रह्माकीसहस्रों युगोंकीरात्रिहोतीहै | जिसेमहाप्रलयकहतेहै इससमयसम्पुरणश्रष्टिसोजातीहै|फिरपरमात्माकीइच्छापर पुन सूर्य चन्द्रलोकलोक पाल इंद्रअदिदेवोकीरचनाहोतीहै| फिरदीगयीगरना केअनुसार काल अपनाकार्य करनेलगताहै | इससिधांतपरभारतीयज्योतिषकार्यकरतीहै|