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न्यायक व्यवस्था

सलमान खान के रवैये में कोर्ट का में जो चहरा सामने आया चोकने बाला है १३ साल का समय लगा कोर्ट को यह बात जनने में कि दुर्घटना बाले दिन वह नहीं उनका ड्राईवर कार चला रहा था | वैसे फेसला आया नहीं है अगर कल को कला हिरन स्वयं आकर यह न कह दे कि मुझे किसी ने नहीं मारा मैंने खुद अत्म्दाहाकरी है |तथा सलमान खान कैससे बरी हो जाये |क्योकि हिन्दुस्तानी कोर्ट ओ में कुछ भी संभव है |ये हर नागरिक जनता है इतना ही नहीं लोग जब मुझ से यह कहते है कि कोर्ट की ईट ईट पैसे खाती है तो मुझे हेरंगी होती थी ...  कि ईट का तो मुह होता नहीं पर पैसे कैसे खाती है लेकिन अब समझ में आया की न्याय के देवता के न्यायालय में इस कदर अन्याय होता है कि पैसे के बिना कोई काम नहीं कि झूट के अलावा कोई नाम नहीं |इसमें कोई आश्चर्य बाली बात नहीं कोयिकी समाज में बकील की नैकनियत पर सवाल रोज उठते है रोज लोग उनके धन एवं अन्य बैबुनादी बातो की चर्चा करते है उसी समाज का हिस्सा होता है न्यायाधीश केवल प्रश्थितिबदलती है |न्यायधीश उपर बेठाहोता है बकील साहब नीचे खड़े होते है लेकिन इस से कोई खास अंतर इस तरह नहीं पड़ता जिस प्रकार देवालय में राखी म