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Showing posts from August, 2014

क्रष्ण जन्म अष्टमी

भगवान् श्रीक्रष्ण जन्माष्टमी महापर्व १८ अगस्त २०१४ दिन सोमवार नक्षत्र कृतिका योग  ध्रुव करण को   में पड़ेगा |  कृतिका नक्षत्र का मान १४ ५२    है |इस कें बाद रोहिणी नक्षत्र  शुरू हो जायेगा |भगवानश्रीक्रष्ण का जन्म रोहिणी  नक्षत्र में अर्ध रात्रि  हूआ था |सोमवार को दोपहर बाद रोहणी नक्षत्र का शुभारम्भ होगा जो दिनाक१९-अगस्त को प्रात ८.३0 तक लगभग रहेगा इस लिए ज्योत्शिय आधारपर ये तय है कि भोगंश अनुसार जन्म अष्टमी पर्व मनाया जाएगा  | पावन इतिहास  ---भगवान्  श्रीक्रष्ण का पावन इतिहास सभी कामनायो को पूरण करने बाला है |कृष्ण जन्म ही ऐसा अवतार  है जिस के जन्म के प्रभाव से माया रुपी बेड़ियाँ कट गयी थी तथा वासुदेव देवकी बंधन मुक्त किया अतःआप विचार कर सकते हो कि जिन का जन्म भव बाधाओ को हरने वाला हो उनका जन्म कितना प्रभावी होगा | भगवान श्रीकष्ण का जन्म उन परस्थितियो में हूआ जब मथुरा नरेश कंस का अत्याचार चरम सीमा पर था हिन्दू दर्शन कें अनुसार दो अपराध जघन्य माने गए है महिला अपराध बलात्कार अदि दूसरा बाल अपराध जिस में न बालको पर अत्याचार यानि बच्चो का वध,हत्या या बच्चो का शोषण बाल मजदूरी सभी इस अपराध क

रक्षाबंधन पर्व

१० अगुस्त २०१४ दिन रविवार श्रवणनक्षत्र अद्रायोग वि योग चन्द्र मकर राशी में पर रहा है |रक्षाबंधन पर्व हिन्दू समाज में काफी प्राचीन परम्परागत है |इस पर्व के पीछे अनेक पौराणिक मान्यता है जो पर्व की मह्त्यता को और अधीक बड़ा देते है जो इस प्रकार है | देवासुर संग्राम ----------एक समय जब देवता देवासुर संग्राम में व्र्तासुर नामक देत्यसे हर रहे थे तब देतो के रजा इंद्र को काफी चिन्तामनाब मूल्यों को लेकर हूई |तथा इस समस्या के समाधान हेतु भगवन विष्णूके पास गए तब भगवन विष्णु nनेe महर्षि दाधीच के पास गए तथा उन से सरीर से हड्डियों की मांग करी महर्षी दाधीच नेलोक हित को ध्यान में रख कर सरीर का दान किया किया दाधीच के सरीर की हड्डियों का वज्र वनायागाया तथा पुन युध हूआ तथा देवताओ को विजय प्राप्त हूई तथा विश्व भर में विजय दिवश मनाया गाया |तभी से रक्षा बंधन पर्व रक्षा दिवश के रूप में मनाया जाता है बहन भाई के हाथ में राखी बाधशंकटके समय रक्षा का बचन लेती है |रक्षा बंधनपर्व ब्रहामणोंका भी सवसे श्रेष्ट पर्व है ब्रहामणदेवता भगवन को रक्षा सूत्र बाध कर विश्व कल्याण की कामना करता है तथा समाज को राष्टीय ऋण में बाधत