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नव वर्ष का वर्षफल--2012-2013

नव  वर्ष  का  वर्षफल  हिन्दू नव वर्ष का शुभारम्भ दिनांक २३ मार्च २०१२ दिन शुक्रवार छात्र शुक्ल प्रतिपदा से होगा .इस नव वर्ष का नाम विश्ववासु संवत्सर  होगा।वर्ष का राजा शुक्र होगा तथा मंत्री भी शुक्र होगा अतः इस वर्ष में राजा और मंत्री दोनों के पद सुख के स्वामी शुक्र पर होने के कारण सुख के साधन बढेंगे अनाज का उत्पादन बढेगा तथा वर्ष में वृक्षों पर फलों की अधिकता रहेगी।लोगों में धार्मिक प्रवृति अधिक होगी अवं यज्ञ आदि अनुष्ठानों की वृद्धि होगी महिलाओं में नयी जाग्रति होगी एवेम नूतन समाज में महिलाओं की भागीदारी बढेगी । संवत्सर का फल :-  विश्ववासु नामक संवत्सर होनें के कारण समाज में अनेक बिमरियन फैलेंगी रोगों के चलते लोग अपना काम समय से पूरण नहीं कर पायेंगे ।शासकों की नीतियों का पुरजोर विरोध होगा एवं राज्नीति के चलते देश के पश्चमी भाग में ज्येष्ठ मास में  छत्र भंग होने की संभावना है.अनाज उत्पादन के बाद भी बाजार में महंगाई बढेगी चौपाय पशु गायें भैंस आदि महंगी होंगी तथा तिलहन एवं दलहन  के  भाव अत्यंत महंगे होंगे  । वर्षनाम आश्विन का फल : अश्वयज   नामक आश्विन होने से वर्ष में वर्षा अधिक होगी

वैशनो तिथि -एकादशी

हिदू  दर्शन  सिधान्त  के  अनुसार  एकादशी का  विशेष  महेतुय माना गया  है । जीवन  के  किसी  भी  प्रकार  के  शंकट  को दूर करने  की  क्षमता  एकादशी का  व्रत  रखता  है  । इस  में  कोई  अतोसुक्ति नहीं  है ।एकादशी अध्यात्मक तिथि माना गया है । जो मानव  जीवन  के  प्रवाल शास्त्रू -कम , क्रोध . मद  . लोभ पर विजय  कराकर  जीवन  को  परमात्मा  के  निकटम  क्रपा  भजन  का  शरूप  प्रदान  करती  है । पुराण मतअनुसार अनेक  इसे  उद्धरण  है  जिस  में  स्पष्ट  वरन  है  की  एकादशी  के  ब्रतके  प्रभाव  से जीव  को  भगवन  की क्रपा  प्रदान  होती  है ।राजाअम्बरीश , पीतहामाह  भीसम  , धरम राज  युधिष्टर ,एवं  अर्जुन  को एकादशी  के प्रभाव से नारायण क्रपा  प्राप्त  हूई  इस  में  अतोसुक्ति  नहीं  है ।इस लिए यह  स्पष्ट है एकादशी  का पवन  ब्रत  इद्रिय सयामविवक एवं अधत्मिक ज्ञान प्रदान करता  है ।ekadasi  ka pawan virat