विवाह के पर्दे में देह व्यापार के ज्योतिषय आधार ज्योतिष के अनुसार कुंडली के सप्तम घर से जीवन साथी के गुण वैवाहिक जीवन की सफलता एवं असफलता तथा आपकी मैथुनिय शक्ति के बारे में आंकलन किया जाता है. इस के साथ साथ जीवन में सामजिक लोकप्रियता भी सातम घर पर ही निर्भर करती है ज्योतिष में शुक्र एवं गुरु दोनों को विवाह का कारक माना गया है अगर यह दोनों ग्रह किसी स्त्री पुरुष की कुंडली में कमजोर या पीड़ित भाव में हों या पाप प्रभाव में हों अथवा ग्रह युद्ध में हरे हुए हों या फिर वृश्चिक ,सिंह के नवांश में हों तो वैवाहिक जीवन में सफलता नहीं मिलती है दूसरी ओरचारित्रिक कमजोरी को लेकर अनेक प्रकार के लांछन जीवन में लगते रहते हैं . वैवाहिक जीवन की सफलता /असफलता का पूर्ण ज्ञान नवांश कुंडली द्वारा ज्ञात होता है अगर किसी कुंडली का नवांश उसके ६-८-१२ भाव में पढनें वाली राशियों से बन गया है तो विवाह होने में तथा वैवाहिक जीवन यापन करनें में कठिनायियन रहेंगी. अगर किसी कुंडली का नवांश कुंडली के एकादश भाव में पड्नें वाली राशी से हो ऐसी कुंडलियों में लाभ ,पद व् प्रलोभन को लेकर वैवाहिक रिश्ते बनते हैं और स्वार
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