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Showing posts from October, 2009

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन रक्षाबंधन हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. यह त्यौहार भाई और बहन के बीच अटूट प्रेम संकेत. यह त्यौहार सा व न हिंदु माह के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस वर्ष 2009 में, यह 5 अगस्त को मनाया जाएगा. शब्द "रक्षाबंधन" आत्मीय और भौतिक सुरक्षा के के लिए खड़ा है. यही कारण है कि जब एक बहन के संबंधों को राखी गाँठ, वह कहते हैं, "भाई! मैं तुम्हारे पास आई हूँ, आप मेरी सभी बुराइयों से रक्षा करोगे ." इस शुभ दिन पर, बहन अपने भाइयों की कलाई पर एक पवित्र बैंड राखी बाँध कर मिठाई खिलाती है . बदले में, अपने भाई बहनों के विभिन्न उपहार देते हैं. यह दंत कथा पुरातन काल से कही जा रही है कि द्रौपदी , पांडवों कि पत्नी और राजा द्रुपद की बेटी थी , एक बार जब कृष्णा su दर्शन chakr से 'हाथ ओं घायल हो गया और वह बुरी तरह से खून बहने लगा. द्रौपदी देखा जिस क्षण, वह उसकी साड़ी का एक कोना फाड़ और कृष्णा 'हाथ नों पर लिपटे. पौराणिक कथाओं कि कृष्णा जब Duhshasana उसे नंगा करना करने की कोशिश की कि कर्ज चुकाने के ल

दीपावली पर करें कन्या पूजन

दीपावली पर करें कन्या पूजन  वैसे तो हिन्दुओं के प्रतेयक पर्व पर सिध्ही बुध्ही के स्वामी गणेश तथा आदि शक्ति माँ भगवती कीउपासना का अति प्राचीन विधान है. जिसके फल स्वरुप जब तक आदि शक्ति माँ भगवती की कृपा न हो तब तक जीवन से सुख ओर शांति एवं सफलता कोसों दूर रहती है . इस सृष्टि में महामाया देवी की शक्ति के दो रूप हैं अद्रिशय व दृश्य देवी के अद्रिशय स्वरुप को मेधा के नाम से जाना जता है. जो इस संसार को सम्मोहित करने,भ्रमित करनें एवं भावः जंजाल में फसनें का काम करती है. जो ईश्वरीय इच्छा पर चलती रहती है. दूसरी शक्ति जो दृश्य है वह सांसारिक संबंधों को नारी के रूप में स्थापित करती है. जिसके संसार में अनेक रूप बहन, बेटी, माता व भार्या के रूप में है. जो इस संसार में पुरुष के साथ शक्ति संचार हेतु कंधे से कंधा मिला केर इस सृष्टि के कार्यों को करती है. पर्त्येक मानव की इस संसार से चार प्रकार की उपेक्षा प्राचीन काल से ही मानी गयी है. जिनको धरम, अर्थ,काम ओर मोक्ष के नाम से जाना जाता है .इन चारों अवस्थाओं में आदि शक्ति देवी का नारी के रूप में संलगन होना मानवीय सफलता के लिए अत्यंत आवश्येक है वेदों ओंर पु